📜
१२. द्वादसमवग्गो
(११६) १. संवरो कम्मन्तिकथा
६३०. संवरो ¶ कम्मन्ति? आमन्ता. चक्खुन्द्रियसंवरो चक्खुकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… सोतिन्द्रियसंवरो…पे… घानिन्द्रियसंवरो…पे… जिव्हिन्द्रियसंवरो…पे… कायिन्द्रियसंवरो कायकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
कायिन्द्रियसंवरो कायकम्मन्ति? आमन्ता. चक्खुन्द्रियसंवरो चक्खुकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… कायिन्द्रियसंवरो कायकम्मन्ति? आमन्ता. सोतिन्द्रियसंवरो…पे… घानिन्द्रियसंवरो…पे… जिव्हिन्द्रियसंवरो जिव्हाकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… मनिन्द्रियसंवरो मनोकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
मनिन्द्रियसंवरो मनोकम्मन्ति? आमन्ता. चक्खुन्द्रियसंवरो चक्खुकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… मनिन्द्रियसंवरो मनोकम्मन्ति? आमन्ता. सोतिन्द्रियसंवरो ¶ …पे… घानिन्द्रियसंवरो… जिव्हिन्द्रियसंवरो…पे… कायिन्द्रियसंवरो कायकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६३१. असंवरो कम्मन्ति? आमन्ता. चक्खुन्द्रियअसंवरो चक्खुकम्मन्ति ¶ ? न हेवं वत्तब्बे…पे… सोतिन्द्रियअसंवरो…पे… घानिन्द्रियअसंवरो…पे… जिव्हिन्द्रियअसंवरो… कायिन्द्रियअसंवरो कायकम्मन्ति? न ¶ हेवं वत्तब्बे…पे….
कायिन्द्रियअसंवरो ¶ कायकम्मन्ति? आमन्ता. चक्खुन्द्रियअसंवरो चक्खुकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… कायिन्द्रियअसंवरो कायकम्मन्ति? आमन्ता. सोतिन्द्रियअसंवरो…पे… घानिन्द्रियअसंवरो…पे… जिव्हिन्द्रियअसंवरो जिव्हाकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… मनिन्द्रियअसंवरो मनोकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
मनिन्द्रियअसंवरो मनोकम्मन्ति? आमन्ता. चक्खुन्द्रियअसंवरो चक्खुकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे… मनिन्द्रियअसंवरो मनोकम्मन्ति? आमन्ता. सोतिन्द्रियअसंवरो…पे… घानिन्द्रियअसंवरो…पे… जिव्हिन्द्रियअसंवरो…पे… कायिन्द्रियअसंवरो कायकम्मन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६३२. न वत्तब्बं – ‘‘संवरोपि असंवरोपि कम्म’’न्ति? आमन्ता. ननु वुत्तं भगवता – ‘‘इध, भिक्खवे, भिक्खु चक्खुना रूपं दिस्वा निमित्तग्गाही होति…पे… न निमित्तग्गाही होति, सोतेन सद्दं सुत्वा…पे… मनसा धम्मं विञ्ञाय निमित्तग्गाही होति…पे… न निमित्तग्गाही होती’’ति! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता. तेन हि संवरोपि असंवरोपि कम्मन्ति.
संवरो कम्मन्तिकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(११७) २. कम्मकथा
६३३. सब्बं ¶ कम्मं सविपाकन्ति? आमन्ता. सब्बा ¶ चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे… सब्बा चेतना सविपाकाति? आमन्ता. विपाकाब्याकता चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे… सब्बा चेतना सविपाकाति ¶ ? आमन्ता. किरियाब्याकता चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
सब्बा ¶ चेतना सविपाकाति? आमन्ता. कामावचरा विपाकाब्याकता चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे… सब्बा चेतना सविपाकाति? आमन्ता. रूपावचरा अरूपावचरा अपरियापन्ना विपाकाब्याकता चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
सब्बा चेतना सविपाकाति? आमन्ता. कामावचरा किरियाब्याकता चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे… सब्बा चेतना सविपाकाति? आमन्ता. रूपावचरा अरूपावचरा किरियाब्याकता चेतना सविपाकाति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६३४. विपाकाब्याकता चेतना अविपाकाति? आमन्ता. हञ्चि विपाकाब्याकता चेतना अविपाका, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बा चेतना सविपाका’’ति.
किरियाब्याकता चेतना अविपाकाति? आमन्ता. हञ्चि किरियाब्याकता चेतना अविपाका, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बा ¶ चेतना सविपाका’’ति.
कामावचरा रूपावचरा अरूपावचरा अपरियापन्ना विपाकाब्याकता चेतना अविपाकाति? आमन्ता ¶ . हञ्चि अपरियापन्ना विपाकाब्याकता चेतना अविपाका, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बा चेतना सविपाका’’ति.
कामावचरा रूपावचरा अरूपावचरा किरियाब्याकता चेतना अविपाकाति? आमन्ता. हञ्चि अरूपावचरा किरियाब्याकता चेतना अविपाका, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सब्बा चेतना सविपाका’’ति.
६३५. न वत्तब्बं – ‘‘सब्बं कम्मं सविपाक’’न्ति? आमन्ता. ननु वुत्तं भगवता – ‘‘नाहं, भिक्खवे, सञ्चेतनिकानं कम्मानं कतानं उपचितानं अप्पटिसंविदित्वा ब्यन्तिभावं वदामि, तञ्च खो दिट्ठेव धम्मे उपपज्जे [उपपज्जं (अ. नि. १०.१७)] वा अपरे वा परियाये’’ति [अ. नि. १०.२१७]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता. तेन हि सब्बं कम्मं सविपाकन्ति.
कम्मकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(११८) ३. सद्दो विपाकोतिकथा
६३६. सद्दो ¶ ¶ विपाकोति? आमन्ता. सुखवेदनियो दुक्खवेदनियो अदुक्खमसुखवेदनियो, सुखाय वेदनाय सम्पयुत्तो, दुक्खाय वेदनाय सम्पयुत्तो ¶ , अदुक्खमसुखाय वेदनाय सम्पयुत्तो, फस्सेन सम्पयुत्तो, वेदनाय सम्पयुत्तो, सञ्ञाय सम्पयुत्तो, चेतनाय सम्पयुत्तो, चित्तेन सम्पयुत्तो, सारम्मणो; अत्थि तस्स आवट्टना आभोगो समन्नाहारो मनसिकारो चेतना पत्थना पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे… ननु न सुखवेदनियो न दुक्खवेदनियो…पे… अनारम्मणो, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. हञ्चि ¶ न सुखवेदनियो…पे… अनारम्मणो, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधि, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सद्दो विपाको’’ति.
फस्सो विपाको, फस्सो सुखवेदनियो…पे… सारम्मणो, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. सद्दो विपाको, सद्दो सुखवेदनियो…पे… सारम्मणो, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
सद्दो विपाको, सद्दो न सुखवेदनियो…पे… अनारम्मणो, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. फस्सो विपाको, फस्सो न सुखवेदनियो, न दुक्खवेदनियो…पे… अनारम्मणो, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६३७. न वत्तब्बं – ‘‘सद्दो विपाको’’ति? आमन्ता. ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सो तस्स कम्मस्स कतत्ता उपचितत्ता उस्सन्नत्ता विपुलत्ता ब्रह्मस्सरो होति करविकभाणी’’ति [दीघनिकाये]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता ¶ . तेन हि सद्दो विपाकोति.
सद्दो विपाकोतिकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(११९) ४. सळायतनकथा
६३८. चक्खायतनं ¶ ¶ विपाकोति? आमन्ता. सुखवेदनियं दुक्खवेदनियं…पे… सारम्मणं, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे… ननु न सुखवेदनियं…पे… अनारम्मणं, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. हञ्चि ¶ न सुखवेदनियं…पे… अनारम्मणं, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधि, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘चक्खायतनं विपाको’’ति…पे….
फस्सो विपाको, फस्सो सुखवेदनियो…पे… सारम्मणो, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. चक्खायतनं विपाको, चक्खायतनं सुखवेदनियं…पे… सारम्मणं, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
चक्खायतनं विपाको, चक्खायतनं न सुखवेदनियं…पे… अनारम्मणं, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. फस्सो विपाको, फस्सो न सुखवेदनियो…पे… अनारम्मणो, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६३९. सोतायतनं…पे… घानायतनं…पे… जिव्हायतनं…पे… कायायतनं ¶ विपाकोति? आमन्ता. सुखवेदनियं…पे… सारम्मणं, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे …पे… ननु न सुखवेदनियं…पे… अनारम्मणं, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. हञ्चि न सुखवेदनियं…पे… अनारम्मणं, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधि, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘कायायतनं विपाको’’ति.
फस्सो विपाको, फस्सो सुखवेदनियो…पे… सारम्मणो, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता. कायायतनं विपाको, कायायतनं सुखवेदनियं…पे… सारम्मणं, अत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे ¶ …पे… कायायतनं विपाको, कायायतनं न सुखवेदनियं…पे… अनारम्मणं, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? आमन्ता ¶ . फस्सो विपाको, फस्सो न सुखवेदनियो…पे… अनारम्मणो, नत्थि तस्स आवट्टना…पे… पणिधीति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६४०. न ¶ वत्तब्बं – ‘‘सळायतनं विपाको’’ति? आमन्ता. ननु सळायतनं कम्मस्स कतत्ता उप्पन्नन्ति? आमन्ता. हञ्चि सळायतनं कम्मस्स कतत्ता उप्पन्नं, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘सळायतनं विपाको’’ति.
सळायतनकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(१२०) ५. सत्तक्खत्तुपरमकथा
६४१. सत्तक्खत्तुपरमो ¶ पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. माता जीविता वोरोपिता… पिता जीविता वोरोपितो… अरहा जीविता वोरोपितो… दुट्ठेन चित्तेन तथागतस्स लोहितं उप्पादितं… सङ्घो भिन्नोति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. अभब्बो अन्तरा धम्मं अभिसमेतुन्ति? न हेवं वत्तब्बे…पे…. अभब्बो अन्तरा धम्मं अभिसमेतुन्ति? आमन्ता. माता जीविता वोरोपिता… पिता जीविता वोरोपितो… अरहा जीविता वोरोपितो… दुट्ठेन चित्तेन तथागतस्स लोहितं उप्पादितं… सङ्घो भिन्नोति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६४२. सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. अत्थि सो नियमो ¶ येन नियमेन सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? न हेवं वत्तब्बे…पे… अत्थि ¶ ते सतिपट्ठाना…पे… सम्मप्पधाना… इद्धिपादा… इन्द्रिया… बला… बोज्झङ्गा येहि बोज्झङ्गेहि सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६४३. नत्थि सो नियमो येन नियमेन सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. हञ्चि नत्थि सो ¶ नियमो येन नियमेन सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो’’ति.
नत्थि ¶ ते सतिपट्ठाना… बोज्झङ्गा येहि बोज्झङ्गेहि सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. हञ्चि नत्थि ते बोज्झङ्गा येहि बोज्झङ्गेहि सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो’’ति.
६४४. सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. सकदागामिनियमेनाति? न हेवं वत्तब्बे…पे… अनागामिनियमेनाति? न हेवं वत्तब्बे…पे… अरहत्तनियमेनाति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
कतमेन नियमेनाति? सोतापत्तिनियमेनाति. सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतोति? आमन्ता. ये केचि सोतापत्तिनियामं ओक्कमन्ति, सब्बे ते सत्तक्खत्तुपरमतानियताति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६४५. न वत्तब्बं – ‘‘सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो’’ति? आमन्ता ¶ . ननु सो सत्तक्खत्तुपरमोति? आमन्ता. हञ्चि सो सत्तक्खत्तुपरमो, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो’’ति.
सत्तक्खत्तुपरमकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(१२१) ६. कोलङ्कोलकथा
६४६. न ¶ ¶ वत्तब्बं – ‘‘कोलङ्कोलो पुग्गलो कोलङ्कोलतानियतो’’ति? आमन्ता. ननु सो कोलङ्कोलोति? आमन्ता. हञ्चि सो कोलङ्कोलो, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘कोलङ्कोलो पुग्गलो कोलङ्कोलतानियतो’’ति.
कोलङ्कोलकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(१२२) ७. एकबीजीकथा
६४७. न ¶ वत्तब्बं – ‘‘एकबीजी पुग्गलो एकबीजितानियतो’’ति? आमन्ता. ननु सो एकबीजीति? आमन्ता. हञ्चि सो एकबीजी, तेन वत रे वत्तब्बे – ‘‘एकबीजी पुग्गलो एकबीजितानियतो’’ति.
एकबीजीकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(१२३) ८. जीविता वोरोपनकथा
६४८. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्याति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च मातरं जीविता वोरोपेय्य…पे… पितरं जीविता वोरोपेय्य ¶ …पे… अरहन्तं जीविता वोरोपेय्य…पे… दुट्ठेन चित्तेन तथागतस्स लोहितं उप्पादेय्य…पे… सङ्घं भिन्देय्याति? न ¶ हेवं वत्तब्बे…पे….
दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्याति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सत्थरि अगारवोति? न हेवं वत्तब्बे…पे… धम्मे…पे… सङ्घे…पे… सिक्खाय ¶ अगारवोति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
ननु दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सत्थरि सगारवोति? आमन्ता. हञ्चि दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सत्थरि सगारवो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्या’’ति. ननु दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो धम्मे…पे… सङ्घे…पे… सिक्खाय सगारवोति? आमन्ता. हञ्चि दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सिक्खाय सगारवो, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्या’’ति.
६४९. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सत्थरि अगारवोति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो बुद्धथूपे ओहदेय्य ओमुत्तेय्य निट्ठुभेय्य बुद्धथूपे अपब्यामतो [असब्याकतो (सी. क.)] करेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
दिट्ठिसम्पन्नो ¶ पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्याति? आमन्ता. ननु वुत्तं भगवता – ‘‘सेय्यथापि, भिक्खवे, महासमुद्दो ठितधम्मो वेलं नातिवत्तति; एवमेव खो, भिक्खवे, यं मया सावकानं सिक्खापदं पञ्ञत्तं तं मम सावका जीवितहेतुपि नातिक्कमन्ती’’ति [चूळव. ३८५; अ. नि. ८.२०; उदा. ४५]! अत्थेव सुत्तन्तोति? आमन्ता ¶ . तेन हि न वत्तब्बं – ‘‘दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्या’’ति.
जीविता वोरोपनकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(१२४) ९. दुग्गतिकथा
६५०. दिट्ठिसम्पन्नस्स ¶ ¶ पुग्गलस्स पहीना दुग्गतीति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो आपायिके रूपे रज्जेय्याति? आमन्ता. हञ्चि दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो आपायिके रूपे रज्जेय्य, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गती’’ति.
दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गतीति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो आपायिके सद्दे…पे… गन्धे… रसे… फोट्ठब्बे…पे… अमनुस्सित्थिया तिरच्छानगतित्थिया नागकञ्ञाय मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, अजेळकं पटिग्गण्हेय्य, कुक्कुटसूकरं पटिग्गण्हेय्य, हत्थिगवस्सवळवं पटिग्गण्हेय्य… तित्तिरवट्टकमोरकपिञ्जरं [… कपिञ्जलं (स्या. कं. पी.)] पटिग्गण्हेय्याति? आमन्ता. हञ्चि दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो तित्तिरवट्टकमोरकपिञ्जरं पटिग्गण्हेय्य, नो च वत रे वत्तब्बे – ‘‘दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गती’’ति.
६५१. दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गति, दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो आपायिके रूपे रज्जेय्याति? आमन्ता. अरहतो पहीना दुग्गति, अरहा आपायिके रूपे रज्जेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे… दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गति, दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो आपायिके सद्दे… गन्धे… रसे… फोट्ठब्बे…पे… तित्तिरवट्टकमोरकपिञ्जरं पटिग्गण्हेय्याति? आमन्ता ¶ ¶ . अरहतो ¶ पहीना दुग्गति, अरहा तित्तिरवट्टकमोरकपिञ्जरं पटिग्गण्हेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
अरहतो पहीना दुग्गति, न च अरहा आपायिके रूपे रज्जेय्याति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गति, न च दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो आपायिके रूपे रज्जेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे… अरहतो पहीना दुग्गति, न च अरहा आपायिके सद्दे…पे… गन्धे…पे… रसे…पे… फोट्ठब्बे…पे… अमनुस्सित्थिया तिरच्छानगतित्थिया नागकञ्ञाय मेथुनं धम्मं पटिसेवेय्य, अजेळकं पटिग्गण्हेय्य, कुक्कुटसूकरं पटिग्गण्हेय्य, हत्थिगवस्सवळवं पटिग्गण्हेय्य…पे… तित्तिरवट्टकमोरकपिञ्जरं पटिग्गण्हेय्याति? आमन्ता ¶ . दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गति, न च दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो तित्तिरवट्टकमोरकपिञ्जरं पटिग्गण्हेय्याति? न हेवं वत्तब्बे…पे….
६५२. [अट्ठकथानुलोमं परवादीपुच्छालक्खणं. तथापायं पुच्छा सकवादिस्स, पुरिमायो च इमिस्सं दुग्गतिकथायं परवादिस्साति गहेतब्बा विय दिस्सन्ति] न वत्तब्बं – ‘‘दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गती’’ति? आमन्ता. दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो निरयं उपपज्जेय्य…पे… तिरच्छानयोनिं उपपज्जेय्य… पेत्तिविसयं उपपज्जेय्याति? न हेवं वत्तब्बे. तेन हि दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गतीति.
दुग्गतिकथा निट्ठिता.
१२. द्वादसमवग्गो
(१२५) १०. सत्तमभविककथा
६५३. न ¶ ¶ वत्तब्बं ‘‘सत्तमभविकस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गती’’ति? आमन्ता. सत्तमभविको पुग्गलो निरयं उपपज्जेय्य, तिरच्छानयोनिं उपपज्जेय्य, पेत्तिविसयं उपपज्जेय्याति? न हेवं वत्तब्बे. तेन हि सत्तमभविकस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गतीति.
सत्तमभविककथा निट्ठिता.
द्वादसमवग्गो.
तस्सुद्दानं –
संवरो ¶ कम्मं तथेव असंवरो, सब्बकम्मं सविपाकं, सद्दो विपाको, सळायतनं विपाको, सत्तक्खत्तुपरमो पुग्गलो सत्तक्खत्तुपरमतानियतो, कोलङ्कोलपुग्गलो कोलङ्कोलतानियतो, एकबीजी पुग्गलो एकबीजितानियतो, दिट्ठिसम्पन्नो पुग्गलो सञ्चिच्च पाणं जीविता वोरोपेय्य, दिट्ठिसम्पन्नस्स पुग्गलस्स पहीना दुग्गति, तथेव सत्तमभविकस्साति.