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दुतियपरिच्छेद

महासम्मतवंस

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महासम्मत राजस्स, वंसजो हि महामुनि;

कप्पस्सादिम्हि राजा’सि, महासम्मतनामको.

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रोजो च वररोजो च, तथा कल्याणका दुवे;

उपोसथो च मन्धाता, चरको’पचरा दुवे.

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चेतीयो मुचलो चेव, महामूचलनामको;

मुचलिन्दो सागरो चेव, सागरो देव वनामको.

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भरतो भगीरथो चेव, रुचि च सुरुचि पिच;

पतापो महापतापो, पनादा च तथा दुवे.

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सुदस्सनो च नेरु च, तथा एव दुवे दुवे;

पच्छिमा चा’ति राजानो, तस्स पुत्तपपुत्तका.

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असंखियायुका एते, अट्ठवीसति भूमिपा;

कुसावतिं राजगहं, मिथिलञ्चापि आवसुं.

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ततो सतञ्च राजनो, छप्पञ्ञास च सट्ठि च;

चतुरासीति सहस्सानि, छत्तिंसा च ततो परे.

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द्वत्तिंस अट्ठवीसा च, द्वावीसति ततो परे;

अट्ठारस सत्तरस, पञ्चदस चतुद्दस.

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नव सत्त द्वादस च, पञ्चवीस ततोपरे;

पञ्चवीसं द्वादस च, द्वादसञ्च नवा पिच.

१०.

चतुरासीतिसहस्सानि, मखादेवादिकापि च;

चतुरासीतिसहस्सानि, कळाराजनकादयो.

११.

सोळस याव ओक्कातं, पपुत्ता रासितो इमे;

विसुं विसुं पुरे रज्जं, कमतो अनुसासिसुं.

१२.

ओक्कामुखो जेट्ठपुत्तो, ओक्काकसा’सि भूपति;

निपुरो चन्दीमा चन्दं-मुखो च सिवि सञ्जयो.

१३.

वेस्सन्तर महाराजा, जाली च सीहवाहनो;

सीहस्सरो च इच्चेते, तस्स पुत्त प पुत्तका.

१४.

द्वेअसीति सहस्सानि, सीहस्सरस्स राजिनो;

पुत्त प पुत्त राजानो, जयसेनो तदन्तिमो.

१५.

एते कपिलवत्थुस्मिं, सक्यराजाति विस्सुता;

सीहहनु महाराजा, जयसेनस्स अत्रजो.

१६.

जयसेनस्स धीता च, नामेना’सि यसोधरा;

देवदये देवदह-सक्को नामा’सि भूपति.

१७.

अञ्जनो चा’थ कच्चाना, आसुं तस्स सुता दुवे;

महेसीचा’सि कच्चाना, रञ्ञो सीहहनुस्स सा.

१८.

आसी अञ्जनसक्कस्स, महेसी सा यसोधरा;

अञ्जनस्स दुवे धीता, माया चाथ पजापति.

१९.

पुत्ता दुवे दण्डपाणी, सुप्पबुद्धो च साकियो;

पञ्च पुत्ता दुवे धीता, आसुं सीहहनुस्सरे.

२०.

सुद्धोदनो धोतोदनो, सक्कसुक्कमितोदनो;

अमिता पमिताचा’ति, इमे पञ्च इमा दुवे.

२१.

सुप्पबुद्धस्स सक्कस्स, महेसी अमिता अहु;

तस्सा’सुं भद्दकच्चाना, देवदत्तो दुवे सुता.

२२.

माया महापजापति चेव, सुद्धोदन महेसीयो;

सुद्धोदन महारञ्ञो, पुत्तो मायाय सो जिनो.

२३.

महा सम्मतवंसम्हि, असम्भिन्ने महामुनि;

एवं पवत्ते सञ्जातो, सब्ब खत्थिय मुद्धनि.

२४.

सिद्धत्थस्स कुमारस्स, बोधिसत्तस्स सा अहु;

महेसी भद्दकच्चाना, पुत्तो तस्सा’सि राहुलो.

२५.

बिम्बिसारो च सिद्धत्थ-कुमारो च सहायका;

उभिन्नं पितरो चापि, सहायाएव ते अहुं.

२६.

बोधिसत्तो बिम्बिसारा, पञ्चवस्साधिको अहु;

एकूनतिंसो वयसा, बोधिसत्तो’भिनिक्खमि.

२७.

पदहित्वान छब्बस्सं, बोधिं पत्वा कमेन च;

पञ्चतिंसो थ वयसा, बिम्बिसारमुपागमि.

२८.

बिम्बिसारो पन्नरस-वस्सो’थ पीतरं सयं;

अभिसित्तो महापञ्ञो, पत्तो रज्जस्स तस्स तु.

२९.

पत्ते सोळसमे वस्से, सत्था धम्ममदेसयि;

द्वापञ्ञासेव वस्सानि, रज्जं कारेसि सो पन.

३०.

रज्जे समा पन्नरस, पुब्बे जिनसमागमा;

सत्ततिंस समा तस्स, धरमाने तथागते.

३१.

बिम्बिसारसुतो’जात-सत्तुतं घातीया’मति;

रज्जं द्वत्तिंसवस्सानि, महामित्तद्दुकारयी.

३२.

अजातसत्तुनो वस्से, अट्ठमे मुनि निब्बुतो;

पच्छा सो कारयी रज्जं, वस्सानि चतुवीसति.

३३.

तथागतो सकललोकग्गतं गतो;

अनिच्चताव समवसो उपागतो;

इति’ध यो भयजननिं अनिच्चतं,

अवेक्खते स भवति दुक्खपारगूति.

सुजनप्पसादसंवेगत्थाय कते महावंसे

महासम्मतवंसो नाम

दुतियो परिच्छेदो.