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कच्चायन धातु मञ्जूसा

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स

निरुत्ति निकरा’पार-पारवार’न्तगं मुनिं,

वन्दित्वा धातुमञ्जूसं-ब्रूमि पावचनञ्जसं.

सोगतागम मा’गम्म-तं तंव्याकरणानि च,

पाठे चा’पठितापे’त्थ धात्वत्था च पवुच्चरे.

छन्द’हानित्थमो’कारं-धात्वन्तानं सियाक्व चि, यूनं दीघो च धातुम्हा-पुब्बम’त्थपदं अपि.

.

भू सत्तायं पच पाके गमुसप्प गतिम्हि (च);

सिलोक (धातु) सङ्घाते सकि सङ्काय (वत्तते;).

.

(अथो) कुक-वका’दाने के सद्दे अकि लक्खणे;

कु सद्दे कुच्छिते टङ्क धारणे मकि मण्डने.

.

वकि कोटिल्लयात्रासु सक्क-टीकद्वयं गते;

ककि लोलत्तने याते तकी (इध) गतादिसु.

. वव, लोकनवित्तिसु चक्खवुतिम्हि (तु) रुक्ख (च) खे थिरहिंसखणे निय, मो’पनयिट्ठि वतादिस मुण्डिसु दिक्ख (’थ) कक्ख-कखा हसने तुर, हिंसनवुद्धिगतीसु (हि) दक्ख’दनम्हि (तु) जक्ख (च) भक्ख (मता) अन, जालदुखेसु (तु) दिक्ख (च) दुक्ख (च) इक्ख दिस’ङ्क न को’ख सुसे.

. [अ] निक्ख चुम्बने’(पि) सिक्ख विज्जु’पादु’ पासानम्हि रक्ख गुत्तिवारणे (पि) उञ्छने (सिया’पि) भिक्ख यावलद्ध्य’लद्धिसू (पि) वक्ख रोससंहतेसु मोक्ख मुत्तियं चजे (पि) चिक्ख वाचबोधनेसु.

[ब] नख मख रख नङ्खामङ्खरक्खी’खीलङ्खा लख वख इख इङ्खा उङ्ख वङ्खू’ख गत्यं वखि मखि कखि कङ्खे खी खये उक्ख सेके खु खुतधनिसु (वुत्तो) खे(’थ) खादे सुपे (च.)

.

अग्गो (तु) गतिकोटिल्ले लग सङ्गे मगे’सने;

अगी इगी रिगी लिगी वगी गत्य’त्थधातवो.

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सिलाघ कत्थने जग्घ हसने अग्घ अग्घने;

सिघी आघायने (होति) लघि सोसगतीसु (च;).

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वच ब्यत्तवचे याच याचने रुच दित्तियं;

सुच सोके कुच सद्दे (अथो) विच विवेचने.

.

अञ्च पूजागते वञ्च गमने किञ्चा’वमद्दने;

लुञ्चा’पनयने नच्च नच्चने मच रोचने.

१०.

अच्चा’च्चने चु वचने सचो (तु) समवायने;

पच याते कचि-वच्च दित्तियं मचि धारणे.

११.

पुच्छ सम्पुच्छने मुच्छ मोहस्मिं लञ्छ लक्खणे;

अञ्छा’यामे (भवे) पुञ्छ पुञ्छने उञ्छ उञ्छने.

१२.

तच्छो तनुकिरये पिञ्छ पिञ्छने राज दित्तियं;

वजा’जगमने रञ्ज रागे भञ्जा’वमद्दने.

१३.

अञ्जु ब्यत्तिगतीकन्ति मक्खणेस्वे’ज कम्पने;

भज संसेवने सञ्ज सङ्गे (तु) इञ्ज कम्पने.

१४.

यज देवच्चने दानसङ्गतीकरणेसु (च);

तिजक्खमनिसानेसु दाने(’पि) चज हानियं.

१५.

सजा’लिङ्गन विस्सज्ज निम्माणे मुज्ज मुज्जने;

मज्ज संसुद्धियं लज्ज लज्जने तज्ज तज्जने.

१६.

अज्ज-सज्जा’ज्जने सज्ज निम्माणे गज्ज सद्दने;

गुज-कुज द्वयं सद्दे अख्यत्ते खज्ज भक्खणे.

१७.

भज्ज पाके विजि भयचलने वीज वीजने;

खजी गमनवेकल्ले जी जये जु जवे (सिया;).

१८.

झे चिन्तायुज्झ उस्सग्गे गमने अट-पट द्वयं;

नट नच्चे रट परिभासने वट वेठने.

१९.

वट्ट आवत्तने वण्ट वण्टत्थे कट मद्दने;

फुटो विसरणादीसु कट संवरणे गते.

२०.

घुट घोसे पतिघाते विट’क्कोसे (च) पेसने;

भट भत्यं कुट-कोट्टच्छेदने लुट लोटने.

२१.

जट-झट-पिट सङ्घाते चिटु’त्तासे घटी’हने;

घटि सङ्घट्टने तट्ट च्छेदने मुट मद्दने.

२२.

पठ ब्यत्तवचे हेठ बाधायं वेठ वेठने;

सुठी-कुठी द्वयं सोसे पीठ हिंसनधारणे.

२३.

कठ सोसनपाकेसु वठ थुलत्तने (भवे);

कठि सोसे रुठ-लुठो’पघाते सठ केतवे.

२४.

(सिया हठ बलक्कारे कडिभेदे कडिच्छिदे;

मण्ड विभूसने चण्ड चण्डिक्के भडि भङ्डने.

२५.

पडि उप्पण्डने लिङ्गवेकल्ले मुडि खण्डने,

गडि वत्ते’कदेसम्हि गडि सन्निवये(’पिच;);

२६.

रडि-एरडि हिंसायं पिडि सङ्घातआदिसु,

कुडि दाहे पडि गते हिडि आहिण्डने (सिया;);

२७.

करण्ड भाजन’त्थम्हि (अथो) लडि जिगुच्छने,

(वत्तते) मेडिकोटिल्ले सडि गुम्बत्थमीरणे;

२८.

(अथो’पि) अडि अण्डत्थे (दिस्सते) तुडि तोडने,

वड्ढ संवड्ढने कड्ढ कड्ढणे भण भासने;

२९.

सोण वण्णे गुण’भ्यासे इण-फेण द्वयं गते,

पण वोहारथोमेसु (वत्तते) कण मिलने;

३०.

अण-रण-कण-मुण-क्वण-कुण सद्दे,

यत पतियतने जुत दित्तिम्हि;

अत-पत गमने चित सञ्ञाणे,

कित वासा’दो वतु वत्तुम्हि.

३१.

(भवे) कत्थ सिलाघायं मथ-मत्थ विलोळने,

नाथ याचनसन्ताप इस्सेरा’सिंसनेसु (च;)

३२.

पुथ (चे) पुथु वित्थारे ब्यथ भीतिचलेसु (च),

गोत्थु वंसे पथ-पन्थ गते नन्द समिद्धियं;

३३.

वन्दा’भिवादथोमेसु गद ब्यत्तवचे’(पिच),

(अथो) निन्द गरहायं खदि पक्खन्दनादिसु;

३४.

एदी (तु) किञ्चिचलेन चदि कन्तिहिळादने,

किलिदी परिदेवादो उदिस्सवकिलेदने;

३५.

इदी (तु) परमिस्सरिये अदिअन्दु (च) बन्धने,

भगन्द सेवने (होति) भद्द कल्याणकम्मनि;

३६.

सिद सिङ्गारपाकेसु सद्दुहरितसोसने,

मदि बल्ये मुद-मदा सन्तोसे मद्द मद्दने;

३७.

सन्दु पस्सवनादीसु कन्द’व्हाने (च’) रोदने,

विद लाभे दद दाने रुदि अस्सुविमोचने;

३८.

सदो विसरणा’दानगमने (चा’)वसादने,

हिळाद (तु) सुखे सूदक्खरणे रद विलेखणे;

३९.

साद अस्सादनादीसु गद ब्यत्तवचे’(पिच),

नद अब्यत्तसद्दे (तु) रदा’दा-खाद-भक्खणे;

४०.

अद्द याचनयात्रादिस्व (थो) मिद सिनेहने,

(सिया) खुद जिगच्छायं दळिद्द दुग्गच्चं (हि तु;)

४१.

दा दवे दु गतीवुद्धयं दा दाने विद जानने,

तदि आलसिये बाध बाधायं गुध कीळने;

४२.

(अथो) गाध पतिट्ठायं वुठु-एध (च) वुद्धियं,

धा (होति) धारणे (चेव) चिन्तायं बुध बोधने;

४३.

सिधु गतिम्हि युध सम्पहारे विध वेधने,

राध हिंसायसंराधे बध-बन्ध (च) बन्धने;

४४.

सिध-साध (च) सिद्धिम्हि धे पाने इन्ध दित्तियं,

मान पूजाय वन-सन सम्भवे अन पाणने;

कन दित्तिगतीकन्त्यं खन-खन्व’वदारणे.

४५.

गुप गोपनके गुप संवरणे तप सन्तापे तप इस्सरिये,

चुप मन्दगते तपुउब्बेगे रप-लप वाक्ये सप अक्कोसे;

४६.

जप-जप्प वचे’ब्यत्ते तप्प सन्तप्पने (सिया),

कपि किञ्चिचले कप्प सामत्थे वेपु कम्पने;

४७.

तप्प सन्तगतेच्छेदे तक्के हिंसादिसु’(च्चते),

वप बीजविनिक्खेपे धूप सन्तपने’(पि च);

४८.

चप सान्त्वे पु पवने झप दाहे सुपो सये,

पुप्फ विकसने (होति) रम्ब’लम्बवसंसने;

४९.

चुम्ब वदनसंयोगे कम्ब संवरणे (मतो),

अम्ब सद्दे (च) अस्सादे तायने सबि मण्डने;

५०.

गब्ब दप्पे’ब्ब-सब्बा’(पि) गमने पुब्ब पूरणे,

गुम्ब’ब्बगुम्बने चब्ब अदने उब्ब धारणे;

५१.

लभ लाभे जम्भ गत्तविनामे सुभ सोभने,

भी भये रभ राभस्से (चा)’रम्भे खुभ सञ्चले;

५२.

थम्भ-खम्भ पतिबन्धे गब्भ पागब्भिये वधे,

सुम्भ संसुम्भने सम्भ विस्सासे यभ मेथुने;

५३.

दुभ जीगिंसने दब्भ गन्थने उद्रभा’दने,

कमू (तु) पदविक्खेपे खमू (तु) सहणे (सिया;)

५४.

भमु अनवट्ठाने (च) वमु उग्गिरणादिसु,

किलमु-क्लमू गेलञ्ञे रमु कीळा’य (मीरितो;)

५५.

दमो दमे नम नमे (अथो) सम परिस्समे,

यमु उपरमे नासे अम याते मु बन्धने;

५६.

धमो पुमो (च) धमने तम सङ्काविभूसने,

धुम-थीम (च) सङ्घाते तम सान्त्व’वसादिये;

५७.

अयो वयो पय-मयो नयो रयगतिम्हि (च)

दय दानगतीरक्खा हिंसादिसु यु मिस्सने;

चाय सम्पूजने ताय सन्ताने पाय वुद्धियं,

(अथो) उसूय दोसा’विकरणे साय सायने;

५८.

तर तरणस्मिं थर सन्थरणे भर भरणस्मिं फर सम्फरणे,

सर गति चिन्ता हिंसा सद्दे फुर चलनादो हर हरणस्मिं;

५९.

रि सन्ततिस्मिं रि गते रु सद्दे खुरच्छिदस्मिं धर धारणम्हि,

जर जीरणत्थे मरपाणचागे खर सेकनासे घर सेवनम्हि;

६०.

गरो निगरेण सेके दर डाहे विदारणे,

चर गतिभक्खणेसु वर संवरणादिसु;

६१.

चरच्छेदे अरनासे गते (च) पूर पूरणे,

कुर क्कोसे नर नये जागर सुपिनक्खये;

६२.

पीलु-पलू-सल-हुला गत्य’त्था चल कम्पने,

खल सञ्चलने फुल्ल विकासे जल दित्तियं;

६३.

फल निप्फत्तियं (होति) दल दित्तिविदारणे,

दल दुग्गतियं नील वण्णे मील निमीलने;

६४.

सिल समाधिम्हि कील बन्धे गल-गिला’दने,

कूल आवरणे सूल रुजायं बलपाणने;

६५.

तल-मूल पतिट्ठायं वल-वल्ल निवारणे,

पल्ल निन्ने (च) गमने मल-मल्ल’वधारणे;

६६.

(वत्तते) खिल काठिन्ने कलिले अल-कल द्वयं,

वेल्ल सञ्चलने कल्ल सज्जने अलिबन्धने;

६७.

चुल्ल हावकिरये थूला’कस्सने चूल मद्दने,

(वत्तते) खल सोचेय्यो पल रक्खगतेसु(पि;)

६८.

केल-खेल-चेल-पेल-वेल-सञ्चलनादिसु,

अव रक्खणे जीव पाणधारणे (तु) प्लवो गते;

६९.

कण्डुवनम्हि कण्डुवो सरणे छेदने दवे,

दवो (तु) दवने देवु देवने सेवु सेवने;

७०.

धाव गमनवुद्धिम्हि (पठितो) धोवु धोवने;

वे-वी द्वे तन्तुसन्ताने वे-वु संवरणे (सिया)

ह्वे अव्हाने केव सेके धुव यात्रा थिरेसु (च;);

७१.

अस गस अदने घस अदनस्मिं-इस परियेसे इसुइच्छायं,

ससु पाणनगतिहिंसा’द्य’त्थे-मस आमसने मुस सम्मोसे;

७२.

कुस अक्कोसे दुस अप्पीते-तुस सन्तोसे पुस पोसम्हि,

रुस आलेपे रुस हिंसायं-मसु मच्छेरे उसु दाहे (’पि;)

७३.

हस हसनस्मिं घुस सद्दस्मिं-तस उब्बेगे त्रस उब्बेगे,

लस कन्त्य’त्थे रस अस्सादे-(पुन)भस भस्मिकरणे(चा’पि;)

७४.

गवेस मग्गणे पंस नासने दिस पेक्खणे,

सासा’नुसिट्ठियं हंस पितियं पास बन्धने;

७५.

संस पसंसने इस्स इस्सायं कस्स कस्सने,

धंस पधंसने सिंस इच्छायं घंस घंसने;

७६.

संस-दंसा (तु) डसने भास वाचाय दित्तियं,

(सिया) भुस अलङ्कारे (अथो) आसू’पवेसने;

७७.

वस कन्तिनिवासेसु वस्ससेचनसद्दने,

किस साणे कस गते कस हिंसाविलेखने;

७८.

दिसा’तिसज्जना’दीसु कास दित्तिम्हि सज्जने,

(दुवे धातु) खस-झस हिंसायं मिस मिलने;

७९.

सु हिंसाकुलसन्धानयात्रा’दीसु सु पस्सवे,

सु सद्दे सु पसवने सि सये (च) सि सेवने;

८०.

मह पूजाया’रहपूजायं-गुह संवरणे लिह अस्सादे,

रह चागस्मिं मुह मुच्छायं-मह सत्तायं बहु संख्याने;

८१.

सह खमे दह भस्मिकरणे (च) पतिट्ठायं,

रुह सञ्जनने ऊह वितक्के वह पापणे;

८२.

दुह’प्पपूरणे नासे दिहो उपचये (मतो),

निन्दायं गरहो ईह घट्टने मिह सेवने;

८३.

गाह विलोळने ब्रूह-बह-ब्रह (च) वुद्धियं,

व्हे सद्दम्हि हसने हा चागे लुळ मन्थने

कीळविहारम्हि लळ विलासे’(मेसवुद्धिका;)