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तुदादयो अवुद्धिका

८४.

तुद ब्यथायं (तु) नुद क्खेपणे लिख लेखणे,

कुच सङ्कोचने रिच क्खरणे खच बन्धने;

८५.

उच सद्दे समवाये विजी भयचलेसु (च),

(वत्तते) भुज कोटिल्ले वलञ्जो (तु) वलञ्जने;

८६.

भज सेवापुथक्कारे रुज रोगे अटा’टने,

कुटच्छेदे (च) कोटिल्ले अगा सज्झायना’दिसु;

८७.

पुणो सुभ किरये वत्त वत्तने चत याचने,

पुथ पाके पूतिभावे कुथसंक्लेसने’(पि च;)

८८.

(उभो धातु) पुथ-पथ वित्थारे विद जानने,

हद उच्चार उस्सग्गे-चिन्तायं मिद हिंसने;

८९.

नन्ध विनन्धने थीन-पुन सङ्घातवाचिनो,

कप अच्छादने वप्प वारणे खिप पेरणे;

९०.

सुपो सये छुपो फस्से (वत्तते) चप सान्त्वने,

नभ (धातु) विहिंसायं रुम्भ उप्पीळनादिसु;

९१.

सुम्भ संसुम्भने जम्भ जम्भने जुभ निच्छुभे,

ठुभ निट्ठुभने चमु अदने छमु हीळने;

९२.

झमु दाहे छमु अदने इरीय वत्तने’(पि च),

किर (धातु) विकिरणे गिरो निगिरणा’दिसु;

९३.

फुर सञ्चलनादीसु कुर सद्दा’दनेसु (च),

खुरच्छेदे विलिखणे घुर भीमे गिला’दने;

९४.

तिल स्नेहे चिल वासे हिल हावे सिलु’ञ्छने,

बिल भेदे थूल चये कुसच्छेदन पूरणे;

९५.

विसप्पवेसे फरणे दिसा’तिसज्जना’दिसु

फुल फस्से मुस थेय्ये थुस अप्पिकिरयाय (तु)

गुळ मोक्खे गुळ परिवत्तनम्हि (तुदादयो;)

हू भुवादयो लुत्तविकरणा

९६.

हू-भू सत्ताय (मु’च्चन्ति) इ अज्झाने गतिम्हि (च,)

खा-ख्या (द्वयं) पकथने जि जये ञा’वबोधने;

९७.

सी-ळी वेहासगमने ठा गतीविनिवुत्तियं,

नी पापणे मुन ञाणे हन हिंसागतीसु (’पि)

९८.

पारक्खणम्हि पा पाने ब्रू वाचायं वियत्तियं,

भा दित्तियं मा पमाणे (अथो) या पापुणे (सिया;)

९९.

(दुवेपि) रा-ला आदाने वा गतीगन्धनेसु (पि,)

अस (धातु) भुवि (ख्यातो) सि सये सा समत्थिये;