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११. रागपेय्यालं

६२३. ‘‘रागस्स , भिक्खवे, अभिञ्ञाय सत्त धम्मा भावेतब्बा. कतमे सत्त? सतिसम्बोज्झङ्गो…पे… उपेक्खासम्बोज्झङ्गो – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे सत्त धम्मा भावेतब्बा’’ति.

६२४. ‘‘रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय सत्त धम्मा भावेतब्बा. कतमे सत्त? अनिच्चसञ्ञा, अनत्तसञ्ञा, असुभसञ्ञा, आदीनवसञ्ञा, पहानसञ्ञा, विरागसञ्ञा, निरोधसञ्ञा – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे सत्त धम्मा भावेतब्बा’’ति.

६२५. ‘‘रागस्स , भिक्खवे, अभिञ्ञाय सत्त धम्मा भावेतब्बा. कतमे सत्त? असुभसञ्ञा, मरणसञ्ञा, आहारे पटिकूलसञ्ञा, सब्बलोके अनभिरतसञ्ञा, अनिच्चसञ्ञा, अनिच्चे दुक्खसञ्ञा, दुक्खे अनत्तसञ्ञा – रागस्स, भिक्खवे, अभिञ्ञाय इमे सत्त धम्मा भावेतब्बा’’ति.

६२६-६५२. ‘‘रागस्स, भिक्खवे, परिञ्ञाय…पे… परिक्खयाय… पहानाय… खयाय… वयाय… विरागाय… निरोधाय… चागाय…पे… पटिनिस्सग्गाय इमे सत्त धम्मा भावेतब्बा’’ति.

६५३-११३२. ‘‘दोसस्स…पे… मोहस्स… कोधस्स… उपनाहस्स… मक्खस्स… पळासस्स… इस्साय… मच्छरियस्स… मायाय… साठेय्यस्स… थम्भस्स… सारम्भस्स… मानस्स… अतिमानस्स… मदस्स… पमादस्स अभिञ्ञाय…पे… परिञ्ञाय… परिक्खयाय… पहानाय… खयाय… वयाय… विरागाय… निरोधाय… चागाय… पटिनिस्सग्गाय इमे सत्त धम्मा भावेतब्बा’’ति.

इदमवोच भगवा. अत्तमना ते भिक्खू भगवतो भासितं अभिनन्दुन्ति.

रागपेय्यालं निट्ठितं.

सत्तकनिपातपाळि निट्ठिता.