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(१०) ५. सामञ्ञवग्गो
९१-११६. अथ ¶ खो [एत्थ ‘‘अथ खो’’ति च, ‘‘उपासिका’’ति च इदं अट्ठकथायमेव दिस्सति, न पाळिपोत्थकेसु] बोज्झा [बोज्झङ्गा (क. सी.)] उपासिका [एत्थ ‘‘अथ खो’’ति च, उपासिका’’ति च इदं अट्ठकथायमेव दिस्सति, न पाळिपोत्थकेसु], सिरीमा, पदुमा, सुतना [सुधना (सी. पी.), सुधम्मा (स्या.)], मनुजा, उत्तरा, मुत्ता, खेमा, रुची [रूपी (सी. पी.)], चुन्दी, बिम्बी, सुमना, मल्लिका ¶ , तिस्सा, तिस्समाता [तिस्साय माता (सी. पी.)], सोणा, सोणाय माता [सोणमाता (स्या.)], काणा, काणमाता [काणाय माता (सी. पी.)], उत्तरा नन्दमाता, विसाखा मिगारमाता, खुज्जुत्तरा उपासिका, सामावती उपासिका, सुप्पवासा कोलियधीता [कोळियधीता (स्या. पी.)], सुप्पिया उपासिका, नकुलमाता गहपतानी.
सामञ्ञवग्गो पञ्चमो.
दुतियपण्णासकं समत्तं.